शनिवार, 22 जून 2024

चांद की कश्ती में

चांद की कश्ती में इक जहां है हमारा 
जहां न तुम हो हमारे , न कोई है हमारा 

वो चांद भी मेरे दु:ख से सिमट सा गया है 
यहां कौन है हमारा और कौन है तुम्हारा 

मैं चाहता हूं कि तुम्हें उस दु:ख से निकाल लूं 
और ले चलूं वहां जहां तुम रहो हमारी और मैं रहूं तुम्हारा ।।

Anish ; 26/6/2024. 9:00 p.m  

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