गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024

यु जुल्फ़े न सवारां करो आईने में देख कर ll Poetry by Anish ll

रविवार, 6 अक्टूबर 2024

चल कहीं दूर चलते है ।। Poetry by Anish ।।

एक तलाश है तुम्हारी जुल्फो की छांव की 
तुम्हारी बाहों में उस शांत से गाँव की 
या उन भीड़ भाड़ से भरी शहरो की
 जहां कोई किसी को जानता न हो 
औरअपने उस  छोटे से घर में हो सिर्फ मैं और तुम
 एक तलाश तो रहती है सुकून की
 और एक तलाश है अपने मन पसंद शख्स की 
संग जिसके हम बिता सके सुकु के दो चार पल 
और प्यार के वो लम्हे जो मिलते है बड़ी मुद्दतो के बाद
शायद ही किसी ख़ुशनसीब को 
मैं उसी पल के चाह में तुम्हारे पास आया हूं 
मैं बहुत देर हूं फिर भी तुम्हारे पास आया हू 
मैं आया हूं सिर्फ तुम्हारे लिए 
ताकि दे सकूं तुम्हें वो पल जो तुम चाहती हो ,
तुम्हारी शर्तो पर 
फैसला तुम्हारा होगा संग मेरे चलना है या अकेले 
इस छोटे से शहर में 
 या कहीं दूर किसी ऐसी जगह  
जहाँ हमें कोई  जानता न हो 
हमें कोई पहचानता न हो 
जहां जी सकें हम अपनी ख्वाहिशों को
 और मर सके एक दूसरे की बांहो में ।
अनीष 
6/10/2024 रात 12.34 बजे

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