शनिवार, 31 अगस्त 2024

सोचता हूँ तुझसे इज़हार कर दूं मैं

सोचता हूँ तुझसे इज़हार कर दूं मैं
 तेरे दिल को भी बेकरार कर दूं मैं
पर डरता हूं तेरे इनकार करने से
 तुझे खो कर तुझसे बेइंतहा प्यार करने से 
टूट कर बिखर जाउंगा मैं चंद लम्हातो में 
दिल भी दुखेगा मेरा फिर छोटी छोटी बातों पे
 तेरी बेरूखी भी समझ आती है मुझे
 तेरे दिल की दबी चाहत भी तड़पाती है मुझे 
तुझे भी मुझसे प्यार तो है
 तेरा भी दिल बेकरार तो है
 पर मैं जानता हूं तू इसे नहीं स्वीकार करेगी 
और तुझे समझा पाना भी मेरे बस की बात नहीं 
जोर जबरदस्ती करूं ऐसे मेरे हालात नहीं
 ये अजीब कसमकस का दौर है 
तेरे लिए भी मेरे लिये भी
पर सोचना तू कभी खुद के बारे में भी 
कि क्या तेरा निर्णय सही है मुझसे दूर रहने का
 सिर्फ ये सोच कर कि समाज क्या कहेगा 
और तेरे इस दुख का साथी कौन समाज है 
कोई तेरा अपना नहीं है तेरे दुखो में 
और वो तू जो एक अंजान बंधन में खुद को महसूस करती है 
सब तेरे मन का बंधन है
 तू उससे बाहर निकल कर देख 
और सोच की पिछली गलतियों को कैसे सुधारा जाए 
और अपनी आने वाली जिंदगी को कैसे संवारा  जाए
बरसो बीत जाते है पत्थर दिल नहीं बनते 
और आज जो तुमने ये मौका ठुकरा दिया 
यकिन मानो एक दिन तुम्हें एहसास  होगा
 कि तुम गलत थी
और तब तुम्हारे पास न वक्त होगा न मैं
पर सच तो ये है कि मुझे तुमसे बेइंतहा इश्क है 
जिसे मैं बयां कर तो दूं पर अल्फ़ाज़ कम पर जायेंगे
 तुमसे बिछड़ कर हम जियेंगे तो
 पर अंदर ही अंदर हम मर जाएंगे ।।
 अनीष 
31/8/24
7:45 pm

गुरुवार, 29 अगस्त 2024

अजीब शख्स है वो मुस्कुराता भी नहीं ।। Poetry by Anish ।।

 अजीब शख्स है वो मुस्कुराता भी नहीं
 दिल में क्या है यह बताता भी नहीं
 हम चाहते हैं उसे कितना यह कहे  तो कहे कैसे 
और हमे छिपाना आता भी नहीं 
ये इश्क भी अजीब है
वो तड़पता तो है 
मगर मुझे अपने पास बुलाता भी नहीं
 इश्क की बस्तियों में बरबादियां है छिपी 
इसी डर से मैं उधर जाता भी नहीं ।।

वो बदल गई है ।। Poetry by Anish ।।

वो बदल गई है
न जाने क्यूं
पहले सी बातें नहीं करती है
अब शायद हो गया हूं 
मैं भी साधारण उसके लिए 
या फिर उसका जी भर गया है मुझसे 
पहले तड़प थी उसमें 
मुझे पाने की
 पर अब वो तड़प
 उसकी आंखों में दिखती नहीं
 पहले हर पल चाहती  थी वो मेरा साथ
यहां तक की छोटी-छोटी जगहो पर 
बिना संग मेरे उससे जाया ना जाता था
 पर शायद अब उसे आदत हो गई है
 मेरे बिना जीने की
 मुझमें कुछ नहीं बदला मैं आज भी वही हूं 
उसकी इन हरकतों से दिल में चुभन सी होती है 
मर्माहत हो उठता हूं मैं
 पर उसे एहसास भी नहीं होता
 या होता भी है तो
 वो जानबूझकर अनजान बन जाती है
 रूह की गहराइयों तक सहम गया हूं मैं 
और उस दर्द को बयां करूं भी तो कैसे
 जो इस एहसास के साथ आता है 
कि वो मुझसे अब दूर जा रही है 
कभी-कभी लगता है जैसे
 मेरे लिए उसका प्यार बस एक छलावा है
 नहीं तो उसकी आंखों की उदासियां भी पढ़ लेता हूं मैं 
और मैं रोता हूं तो वो देखती नहीं
 मैं उसे समझाऊं भी तो क्यों कर समझाऊं 
जब उसे किसी बात की समझ ही नहीं 
मैं कब तक रोक पाऊंगा उसे उसकी मर्जी के बगैर
 ये जानते हुए भी कि मैं सिर्फ उसी का हूं
 गर वो जता भी नहीं सकते
 तो मैं ही क्यों हर बार उनसे कहूं 
मैं ही क्यों हर बार बेबस बनूं
 कभी तो सीने से लगाकर वो भी कहे 
मैं सिर्फ तुम्हारी हूं और तुम सिर्फ मेरे
 हर रात गुजर जाती है तड़प तड़प कर
 ना कोई कॉल , ना कोई मैसेज ही आता है 
मैं ही गलत रास्ते पर हूं शायद
 मुझे भी बदल जाना चाहिए 
उनकी ही तरह 
और हो जाना चाहिए धीरे-धीरे दूर
 उनसे , उनकी यादों से
 पर एक बात मैं भी कह देता हूं तुम्हें 
यकीन मानो मुझसे बेहतर कभी नहीं मिलेगा तुम्हे
 ना वफादारी में, ना ईमानदारी में 
ना दिल का सच्चा इंसान 
मुझसे ज्यादा दुनिया भले ही देखी होगी तुमने
 पर इंसानों को पहचानना तुमसे ज्यादा जानता हूं मैं
सच कहता हूं
 तुम्हारी इस बेरुखी से तंग आकर 
तुम्हें छोड़ जाऊंगा मैं 
और यकीन मानो
 फिर कभी नहीं लौट कर आऊंगा मैं ।।

अनीष 
28/8/24

सोमवार, 26 अगस्त 2024

कभी बाप, कभी बेटा , कभी महबूबा हो जाता हूं

कभी बाप, कभी बेटा , कभी महबूबा हो जाता हूं
मैं वो शख्स हूं जो हर रोज नया हो जाता हूं
तुझे कहूं भी तो क्या कहूं सनम अपने लिए
मैं बिना कहे भी बयां हो जाता हूं ।।

अनीष ।। 

शनिवार, 10 अगस्त 2024

मुझे तुमसे प्यार हो गया है ।। Poem by Anish ।।

मुझे तुमसे प्यार हो गया है
 पर मैं तुझसे कहूं कैसे
 तेरे बिना जीना मुश्किल हो रहा है 
बता तेरे बगैर रहूं कैसे

 क्या तू भी यही चाहती है
 जो मैं चाहता हूं 
कुछ इशारा तो कर
 दिल मेरा तुझे चाहता है
 कुछ सहारा तो कर

 ख्वाबों में तेरी जुल्फों को संवारता हूं मैं 
करवटों में रातों को गुजरता हूं मैं 
तेरे ख्याल से ही पागल हो जाता हूं 
 सोच बिना तेरे कैसे जिंदगी गुजारता हूं मैं

 तू चाहती है या नहीं मुझे कह भी दे
 मेरे दिल की तड़प  तू सह भी ले 
सितमगर सितम की भी हद होती है 
 मुझसे जुदा होकर तू भी कभी रह भी ले

  देख मुझसे न कही जाएगी दिल की बात
 कुछ मजबूरीयां है मेरे भी साथ
 पर तेरे होठों से सुनना चाहता हूं मैं 
ख्वाब संग तेरे बुनना चाहता हूं मैं

 तू इजहार कर , मैं स्वीकार कर लूंगा
 मेरी जान मैं तुझे बेइंतहा प्यार कर लूंगा ।।

अनीष । 
9/8/24 ,रात्रि.

मैं तुम्हारा हाथ थामूं तो छुड़ाना मत ।। Poem by Anish ।।

मैं तुम्हारा हाथ थामूं तो छुड़ाना मत 
मेरी जान तुम मुझसे शरमाना मत 

जब इश्क है तो है शरमो हया कैसी 
हम तुम्हारे हैं तुम हमारी हो फिर ख़ता कैसी

 आओ कि सीने से लगा भी लो
 जब चाहतें हैं तो फिर गिला कैसी 

सुनो मैं तुमसे जबरदस्ती प्यार करूंगा 
 तुम ना भी करो फिर भी मैं इज़हार करुंगा

 तुम इंकार कर देना मुझे नहीं परवाह
 मैं तुमसे प्यार करता हूं, तुम्ही से प्यार करूंगा ।।

अनीष 
9/8/24 रात्रि

रविवार, 4 अगस्त 2024

तेरे संग सारी उम्र बिताना चाहता हूं मैं।

तेरी मजबूरियों का फ़ायदा उठाना चाहता हूँ मैं
आ तुझे गले लगाना चाहता हूं मैं 
वो जो राख से बारूद बन गई है 
उसे ही आजमाना चाहता हूं मैं 
कभी कभी मैं चाहता हूं कि तुझसे प्यार करूं और तुझे पता भी न चले
ऐसी मुहब्बत निभाना चाहता हूँ मैं 
हल्की हल्की बरसात में अपनी बाइक के पीछे तुझे बिठा कर 
बहुत दूर तलक जाना चाहता हूं मैं 
मैं चाहता हूँ कि हमें कोई न देखे जब हम साथ हो 
और चुपके से तुझे भगा कर ले जाना चाहता हूँ मैं
कभी कभी सोचता हूं चिल्ला कर कह दूं इस जमाने से कि तू सिर्फ मेरी हैं
और तेरे संग सारी उम्र बिताना चाहता हूं मैं।

अनीष 


मायूसी

मैं बहुत निराशावादी व्यक्ति हूं
तुम नहीं जानती शायद 
बहुत जल्दी निराश हो जाता हूँ मैं 
तुम्हारी हर उन छोटी हरकतों से
 जो मुझे एहसास  कराती है कि तुम मेरी नहीं हो 
तुम नहीं चाहती हो मेरा साथ 
न ही तुम्हें मुझसे प्यार है
कभी कभी जब मुझे महसूस होता है कि
तुम्हारे लिए तुमसे महत्वपूर्ण कोई नहीं 
मैं भी  नहीं 
तब दिल मायूस हो जाता है 
क्यूंकि मुझे स्पेशल रहने की आदत है
और वो इम्पोर्टेंस जब तुम मुझे नहीं देती हो
 तब मैं निराश हो जाता हूं 
 तुम्हें  फर्क ही नहीं पड़ता मेरे होने न होने से
 तब फिर ऐसे संबधो का क्या करेंगे हम
 कहां तक जाएगी हमारी ये मायूस जिंदगी
 जबकि मैं चाहता हूँ जीवन भर का तुम्हारा साथ। 

अनीष 
4/8/24

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