शनिवार, 21 दिसंबर 2024

तू सोई है देर रात तूने,मैसेज भी मेरा पढ़ा होगा,

तू सोई है देर रात,
तूने मैसेज भी मेरा पढ़ा होगा, 
रिप्लाई नहीं किया तूने,
तेरे दिल ने जरुर तुझसे  कुछ कहा होगा,
मैं तेरे लिए खास नहीं, मैं जानता हूं 
तेरी यादो में मेरे सिवा कोई तो रहा होगा।

अनीष 
21/12/2024

गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024

यु जुल्फ़े न सवारां करो आईने में देख कर ll Poetry by Anish ll

रविवार, 6 अक्टूबर 2024

चल कहीं दूर चलते है ।। Poetry by Anish ।।

एक तलाश है तुम्हारी जुल्फो की छांव की 
तुम्हारी बाहों में उस शांत से गाँव की 
या उन भीड़ भाड़ से भरी शहरो की
 जहां कोई किसी को जानता न हो 
औरअपने उस  छोटे से घर में हो सिर्फ मैं और तुम
 एक तलाश तो रहती है सुकून की
 और एक तलाश है अपने मन पसंद शख्स की 
संग जिसके हम बिता सके सुकु के दो चार पल 
और प्यार के वो लम्हे जो मिलते है बड़ी मुद्दतो के बाद
शायद ही किसी ख़ुशनसीब को 
मैं उसी पल के चाह में तुम्हारे पास आया हूं 
मैं बहुत देर हूं फिर भी तुम्हारे पास आया हू 
मैं आया हूं सिर्फ तुम्हारे लिए 
ताकि दे सकूं तुम्हें वो पल जो तुम चाहती हो ,
तुम्हारी शर्तो पर 
फैसला तुम्हारा होगा संग मेरे चलना है या अकेले 
इस छोटे से शहर में 
 या कहीं दूर किसी ऐसी जगह  
जहाँ हमें कोई  जानता न हो 
हमें कोई पहचानता न हो 
जहां जी सकें हम अपनी ख्वाहिशों को
 और मर सके एक दूसरे की बांहो में ।
अनीष 
6/10/2024 रात 12.34 बजे

शनिवार, 14 सितंबर 2024

एक कोरी कल्पना ।। Poetry by ANISH ।।

मैंने अपने इस जीवन को स्वीकार कर लिया है
जिसमें तुम मेरे लिए मात्र एक कोरी काल्पनिक हो 
मैंने बहुत चाहा तुम्हें पर कभी कह नहीं पाया 
इस डर से कि हमारे बीच वो भी रिश्ता खत्म न हो जाए 
जो कई बरसों से है बना हुआ 
पर मैंने तुम्हें कई बार इशारे दिए
 कि तुम समझ जाओ और शायद तुम समझ भी गई
 तभी तो तुमने मुझे खुद से जुदा कर दिया 
क्यूकिं शायद तुम्हें मैं पसंद नहीं आया हूं
 तुम्हें कोई और पसंद है , जिसके जैसा मैं नहीं हूं 
इसलिए मैंने भी अपनी नियति को स्वीकार कर लिया है 
पर सच कहूं तो चाहता हूं तुम्हारा साथ उमर भर के लिए 
जो नामुमकिन भी नहीं है तुम्हारे लिए
 पर मैं तुम्हारे जैसा श्रेष्ठ नहीं हूं 
और शायद इसिलिये मैं तुम्हारा भी नहीं हूं
 और तुम मेरी हो भी तो अधूरी मुहब्बत 
और सिर्फ एक कोरी कल्पना  ।।
अनीष
13/9/24

हाए । इस अदा में भी तुम बड़े मासूम से लगते हो ।। Anish Ki Kavita ।।

आओ हुजूर दिल की बात तो कह दो
यू खामोश लबो से इजहार न करो 
हम भी टूट जाना चाहते हैं तुम्हारी बाहों में 
यू बेकरार करके हमें प्यार ना करो 
तुम्हारी आंखे बेहया है 
मुझे गंदी निगाहों से घूरती है 
छू कर एक बार मुझे जिंदा कर दो 
ना जाने खामोशी में ये क्या ढूंढती है
और सुनो मैं लड़की हूं ,इजहार नहीं करूंगी
 बिना तुम्हारे पहल के,  तुमसे प्यार नहीं करूंगी 
पर चाहूंगी मैं भी वैसे ही जैसे तुम चाहते हो
 और तुम जो ये इन्टरोवर्ट बने रहते हो 
लबों से कुछ नहीं कहते हो 
हाए इस अदा में भी तुम बड़े मासूम से लगते हो ।।
अनीष
13/9/2024

ये बिस्तर की सिलवटे मुझे तुम्हारी याद दिलाती है।।ANISH KI KAVITA।।

आज जब बिस्तर पर गया 
तो तुम्हारी बाहों की याद आई 
कि कैसे जब मैं थक कर चूर हो जाता था  कामों से 
तब तुम मुझे अपने आगोश में भर लेती थी 
मुझे सीने से लगा लेती थी 
और तुम्हारे उस प्यार भरे  स्पर्श से मैं जी उठाता था
 तुम्हारी सांसों की गर्मी से
 मुझे तुम्हारी तड़प का एहसास होता था 
और तुम्हारे जिस्म की वो खुशबू 
मुझे मदहोश कर देती थी
आज जब एक पल के लिए
 तुम मुझसे दूर गई हो 
तो मुझे तुम्हारी याद आती है 
हर वक्त, हर लम्हा मैं तुम्हें महसुस करता हूं 
और ये बिस्तर की सिलवटे मुझे तुम्हारी याद दिलाती है।

अनीष 
13/9/24.

शनिवार, 31 अगस्त 2024

सोचता हूँ तुझसे इज़हार कर दूं मैं

सोचता हूँ तुझसे इज़हार कर दूं मैं
 तेरे दिल को भी बेकरार कर दूं मैं
पर डरता हूं तेरे इनकार करने से
 तुझे खो कर तुझसे बेइंतहा प्यार करने से 
टूट कर बिखर जाउंगा मैं चंद लम्हातो में 
दिल भी दुखेगा मेरा फिर छोटी छोटी बातों पे
 तेरी बेरूखी भी समझ आती है मुझे
 तेरे दिल की दबी चाहत भी तड़पाती है मुझे 
तुझे भी मुझसे प्यार तो है
 तेरा भी दिल बेकरार तो है
 पर मैं जानता हूं तू इसे नहीं स्वीकार करेगी 
और तुझे समझा पाना भी मेरे बस की बात नहीं 
जोर जबरदस्ती करूं ऐसे मेरे हालात नहीं
 ये अजीब कसमकस का दौर है 
तेरे लिए भी मेरे लिये भी
पर सोचना तू कभी खुद के बारे में भी 
कि क्या तेरा निर्णय सही है मुझसे दूर रहने का
 सिर्फ ये सोच कर कि समाज क्या कहेगा 
और तेरे इस दुख का साथी कौन समाज है 
कोई तेरा अपना नहीं है तेरे दुखो में 
और वो तू जो एक अंजान बंधन में खुद को महसूस करती है 
सब तेरे मन का बंधन है
 तू उससे बाहर निकल कर देख 
और सोच की पिछली गलतियों को कैसे सुधारा जाए 
और अपनी आने वाली जिंदगी को कैसे संवारा  जाए
बरसो बीत जाते है पत्थर दिल नहीं बनते 
और आज जो तुमने ये मौका ठुकरा दिया 
यकिन मानो एक दिन तुम्हें एहसास  होगा
 कि तुम गलत थी
और तब तुम्हारे पास न वक्त होगा न मैं
पर सच तो ये है कि मुझे तुमसे बेइंतहा इश्क है 
जिसे मैं बयां कर तो दूं पर अल्फ़ाज़ कम पर जायेंगे
 तुमसे बिछड़ कर हम जियेंगे तो
 पर अंदर ही अंदर हम मर जाएंगे ।।
 अनीष 
31/8/24
7:45 pm

गुरुवार, 29 अगस्त 2024

अजीब शख्स है वो मुस्कुराता भी नहीं ।। Poetry by Anish ।।

 अजीब शख्स है वो मुस्कुराता भी नहीं
 दिल में क्या है यह बताता भी नहीं
 हम चाहते हैं उसे कितना यह कहे  तो कहे कैसे 
और हमे छिपाना आता भी नहीं 
ये इश्क भी अजीब है
वो तड़पता तो है 
मगर मुझे अपने पास बुलाता भी नहीं
 इश्क की बस्तियों में बरबादियां है छिपी 
इसी डर से मैं उधर जाता भी नहीं ।।

वो बदल गई है ।। Poetry by Anish ।।

वो बदल गई है
न जाने क्यूं
पहले सी बातें नहीं करती है
अब शायद हो गया हूं 
मैं भी साधारण उसके लिए 
या फिर उसका जी भर गया है मुझसे 
पहले तड़प थी उसमें 
मुझे पाने की
 पर अब वो तड़प
 उसकी आंखों में दिखती नहीं
 पहले हर पल चाहती  थी वो मेरा साथ
यहां तक की छोटी-छोटी जगहो पर 
बिना संग मेरे उससे जाया ना जाता था
 पर शायद अब उसे आदत हो गई है
 मेरे बिना जीने की
 मुझमें कुछ नहीं बदला मैं आज भी वही हूं 
उसकी इन हरकतों से दिल में चुभन सी होती है 
मर्माहत हो उठता हूं मैं
 पर उसे एहसास भी नहीं होता
 या होता भी है तो
 वो जानबूझकर अनजान बन जाती है
 रूह की गहराइयों तक सहम गया हूं मैं 
और उस दर्द को बयां करूं भी तो कैसे
 जो इस एहसास के साथ आता है 
कि वो मुझसे अब दूर जा रही है 
कभी-कभी लगता है जैसे
 मेरे लिए उसका प्यार बस एक छलावा है
 नहीं तो उसकी आंखों की उदासियां भी पढ़ लेता हूं मैं 
और मैं रोता हूं तो वो देखती नहीं
 मैं उसे समझाऊं भी तो क्यों कर समझाऊं 
जब उसे किसी बात की समझ ही नहीं 
मैं कब तक रोक पाऊंगा उसे उसकी मर्जी के बगैर
 ये जानते हुए भी कि मैं सिर्फ उसी का हूं
 गर वो जता भी नहीं सकते
 तो मैं ही क्यों हर बार उनसे कहूं 
मैं ही क्यों हर बार बेबस बनूं
 कभी तो सीने से लगाकर वो भी कहे 
मैं सिर्फ तुम्हारी हूं और तुम सिर्फ मेरे
 हर रात गुजर जाती है तड़प तड़प कर
 ना कोई कॉल , ना कोई मैसेज ही आता है 
मैं ही गलत रास्ते पर हूं शायद
 मुझे भी बदल जाना चाहिए 
उनकी ही तरह 
और हो जाना चाहिए धीरे-धीरे दूर
 उनसे , उनकी यादों से
 पर एक बात मैं भी कह देता हूं तुम्हें 
यकीन मानो मुझसे बेहतर कभी नहीं मिलेगा तुम्हे
 ना वफादारी में, ना ईमानदारी में 
ना दिल का सच्चा इंसान 
मुझसे ज्यादा दुनिया भले ही देखी होगी तुमने
 पर इंसानों को पहचानना तुमसे ज्यादा जानता हूं मैं
सच कहता हूं
 तुम्हारी इस बेरुखी से तंग आकर 
तुम्हें छोड़ जाऊंगा मैं 
और यकीन मानो
 फिर कभी नहीं लौट कर आऊंगा मैं ।।

अनीष 
28/8/24

सोमवार, 26 अगस्त 2024

कभी बाप, कभी बेटा , कभी महबूबा हो जाता हूं

कभी बाप, कभी बेटा , कभी महबूबा हो जाता हूं
मैं वो शख्स हूं जो हर रोज नया हो जाता हूं
तुझे कहूं भी तो क्या कहूं सनम अपने लिए
मैं बिना कहे भी बयां हो जाता हूं ।।

अनीष ।। 

Featured Post

तू सोई है देर रात तूने,मैसेज भी मेरा पढ़ा होगा,

तू सोई है देर रात, तूने मैसेज भी मेरा पढ़ा होगा, रिप्लाई नहीं किया तूने, तेरे दिल ने जरुर तुझसे कुछ कहा होगा, मैं तेरे लिए खास नहीं, मैं...